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गुलामी कि एक हकीक़त जो आज भी हम गुलाम है ओर गुलाम ही रहेंगे।

 

गुलामी कि एक हकीक़त जो आज भी हम गुलाम है ओर गुलाम ही रहेंगे





आप सब लोग समाज ही गये होगे के में आज किस बारे में बात करने वाला हूँ सबसे पहले में आप का हार्दिक स्वागत कर्ता हूँ । 


में आज बात करने वाला हूँ वो बात 500 से 600 वर्ष पुरानी बात है ओर आज भी हम उसके गुलाम हे। आप ने कभी आप के दादा दादी से कभी ना कभी ए बात सुनी ही होगी के पहले जमाने में कौए भी चीज खरीद नी हो तो आपको पैसे की आवश्यकता नहीं थी। उस वक्त विनिमय प्रक्रिया चलती थी विनिमय मतलब (batter system) कौए वस्तु के बदले वस्तु या फीर ए कहो की कौए चीज के बदले चीज मिलती थी। में आप को एक सरल शब्दों समझता हूँ विनिमय प्रक्रिया क्या है। मान लो में एक किसान हूँ ओर में खेत में धान उगता हूँ ओर मेरे पास खाना खाने के लिये धान हे ओर उसे ज्यादा धान उत्पन्न किया हैं जो खाने के अलाव ज्यादा हैं ओर एक दुध वाले के पास एक गाय हें जो दुध देती है ओर वो दोनों आपस में एक दूसरे से वस्तु के बदले वस्तु आपले करेगे जैसे की किसान अपना धान दूधवाले को देगा ओर दुध वला अपना दुध किसान को देगा एसे पहले जमने में होता था। अपने भी सुना होगा तो अब में आपको समझाता हूँ की हम गुलाम केसे है। कुछ इसी तरह गाँव शहर मे भी चलता था ओर एक बात उस समय में रजा-महाराजा ओ के भी सोना,चाँदी,हीरा,जवारात के अधिक मूल्यवान थे । सोना-चाँदी सभी के पास था ओर विनिमय प्रक्रिया के साथ कौए वस्तुओं के बदले सोने -चाँदी के सिक्के देते थे जैसे के किसी के पास वस्तु के बदले वस्तु नहीं थी वो वस्तु के बदले सोने -चाँदी के सिक्के देते थे एसे में सोना-चाँदी धीरे धीरे मूल्य बढ ने लगा। तो एसे में हुआ यूँ की सभी लोग वस्तु के बदले सोना-चांदी मांगने लगे ओर एसे में सोना-चाँदी के सिक्के रानी छाप के सिक्के से प्रचलित हुए । लेकिन उसमें प्रॉब्लम थी रानी छाप सिक्के वजन में ज्यादा थे ओर उसको सम्हल ना भी मुश्किल था ओर चोरी होने की संभावना थी। तो इसी समस्या को सुलझा ने के लिये जो सुनार वर्गों ओर बडे लोगों ने ए सुझाव दिया कि तुम्हारे सोना -चाँदी के सिक्के हमारे पास रखिये ओर हम आपको एक पर्ची देंगे जिसमें लिखा होगा तुम्हारा कितना सिक्का हमारे पास जमा है ओर आप को जब चाहे तब वापस ले सकते है लेकिन आपको उन सिक्कों मे से थोड़ा सा हिस्सा या फीर एक सिक्के से आधा सिक्का हमें देना होगा । ओर सब लोगों ने अपना-अपना सिक्का सुनार के पास रखने लगे ओर सुनार पर्ची देने लगा उसका इतना सिक्का उसका इतना सिक्का ओर फीर जिसको भी कोई वस्तु लेनी हो तो वो सुनार के पास जाते थे ओर पर्ची दे कर सिक्के वापस ले आते थे ओर आधा सिक्का सुनार को भी देते थे ओर इसी तरह सबक पास पर्ची हो गई। किसी के पास 10 सिक्के वाली पर्ची किसी के पास 50 सिक्के वाली पर्ची तो किसी के पास 100 सिक्के वाली पर्ची एसे में क्या हुआ सब लोगों के पास पर्ची तो थी तो सब लोगों ने सोचा कि सुनार के पास क्यूँ जाए ओर फीर सब लोगों ने आपस में ही पर्ची से लेन-देन सुरु कर दिया किसी को वस्तु चाहे तो पर्ची देकर वस्तु लेता था। ओर यहाँ से सुरु होती हें गुलामी की रातें।




 फीर सुनार ने सोचा की सब लोग पर्ची से लेन-देन कर रहे है ओर जो हमारे पास सोना है वो तो वेश का वैसा ही है हमें तो कोई फायदा नहीं हो रहा है फीर सुनार ने सोचा की कुच करना पड़ेगा इसका फिर सुनार ने एसी डुप्लीकेट पर्ची बना ना शुरु कर दिया ओर फिर सब लोगों में वो पर्ची लोन की तरह देना सुरु कर दिया ओर जो कोई भी वो पर्ची लेता था तो उसमें लिखा था की में इस्को 10 सिक्के उधर दे रहा हूँ ओर जब वापस लौटआए  तो 10% ब्याज देना पड़ेगा एसे कोई ब्याज रखा था ओर यहाँ से सुरु होती है ब्याज की प्रक्रिया जो आज भी चल रही है । ओर जो सुनार ओर बड़े लोग थे उसमें से एक व्यकती जिसका नाम था  ROTHSCHID ओर उसके पीठि के आज हम ओर बाकी पुरी दुनिया उसकी गुलाम है  वो पर्ची के ख्याल से ROTHSCHID ने बैंकिंग व्यवस्था चालू की ओर उसने सोना जमा करके पर्ची बना ना सुरु किया ओर लोगों को लोन देना चालू किया ओर वो पर्ची आज भी हमारे पास है उसमें लिखा होता है की 
। I PROMISE TO PAY BEARER THE SUM OF RUPEES । 




पहले के जमने में आप पर्ची दे कर अपना सोना वापस ले सकते लेकिन जेसे-जेसे समय बिता वैसे पर्ची के बदले सोने की मूल्य कम कर्दी ओर आज के जमाने में पर्ची के बदले सोने की मूल्य ज़िरहों कर दिया । आप ए पर्ची ले कर बैंक मे जाओ ओर बोलो की मुझे इस पर्ची नहीं चाहिये मुझे इसके बदले इस पर्ची का सोना दीजिये कोई नहीं देगा सोना क्योंकि इस पर्ची का मूल्य जीरो कर दिया है। ओर जो इस पर्ची में लिखा है ना की में वचन देता हूँ वो वचन देने वला कोन है वो वचन देने वला ओर कोई नहीं बल्कि RROTHSCHID ही है आप एक बात समजो जो हमारे पास जो रुपया है उसका कौए तो मूल्यों होना चाहिए ना। जो इन्सान है ना उसने पूरी दुनिया का सोना जमा करके उसने नोट छापने के अधिकार ले लिया ओर वो तो जितनी मर्जी चाहिए उतनी नोट छाप सकता है। एसे मे उनकी पीढ़ियां ने पूरी दुनिया मे बैंक कि शाखा खोल दी ओर नोट छाप ने का अधिकर ले लिया ओर दुनिया का सबसे अमीरों परिवारों मे से एक है। ये है गुलामी कि सच्चाई आपके मन मे कई सवाल होगे जेसे कि RROTHSCHID कोन है ? उनकी पीढीया कोन है कहा है जैसे अनेक सवाल हो रहे होगे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे 
ये लेख पढा ने केलिए आप का धन्यवाद अगर आपको RROTHSCHID के बारे मे ओर जानकारी लेना चाहते हे तो हमें cement box अपनी राय दे ओर आपको जानकारी केसी लगी वो जरूर बात ना 
धन्यवाद‌‍‍‌




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